हमारे जीवन में कई बार ऐसी स्थिति आ जाती है जब हम कर्त्तव्य विमूढ़ हो जाते हैं या ऐसी दुविधा में फँस जाते हैं की कर्तव्य का निर्णय नहीं कर पाते l हमारे पुरखों ने, विद्वानों ने और अनेक महापुरुषों ने ऐसे सिद्धान्त निश्चित किये हैं जो ऐसे अवसर पर हमारा मार्गदर्शन करते हैं l ऐसे मार्गदर्शक सिद्धान्तों एवं सुविचारों को ध्यान में रखकर यदि हम आगे बढ़ें तो हमें अनुकूल मार्ग मिल सकता है और हमारी निराशा आशा में बदल सकती है l
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