Phalit Sutra
‘फलित सूत्र’ नाम की पुस्तक में जातक के संबंध में फलित ज्योतिष की बातों का विवेचन यद्यपि सूत्ररूप में अर्थात् संक्षेप में किया गया है तथापि इस बात का ध्यान रखा गया है कि जहाँ तक संभव हो विषय-प्रतिपादन में और क्यों? कैसे? (How and Why) अर्थात् कारण कार्यभाव की अवहेलना न होने पावे। प्रत्येक विषय का हेतु तथा वैज्ञानिक (Logical & Scientific) प्रतिपादन किया गया है। अतः कोई ग्रह किसी परिस्थिति में जो फल देता है उसको हमने महर्षि पराशर द्वारा निर्दिष्ट मौलिक नियमों के, ग्रहों के मौलिक स्वरूप के एवं काल पुरुष आदि ज्योतिषशास्त्र सम्मत सिद्धान्तों के आधार पर ही दर्शाने का प्रयास किया है। मौलिक फल कथन पद्धति का वैज्ञानिक अनुसरण करते हुए हमने ग्रहों के स्वरूप का राशियों के स्वरूप तथा नक्षत्रों के स्वरूप से समन्वय करने का प्रयत्न किया है। इस प्रकार विषय पर एक व्यापक दृष्टिकोण सम्मत प्रकाश पड़ना सम्भव हो सका है।
बारह भावों तथा अन्य जातक ज्योतिष (Natal Astrology) से सम्बद्ध प्रायः सभी मुख्य विषयों का विवरण इस पुस्तक में दिया है जिसकी सहायता से ज्योतिष के पाठक जीवन में आनेवाली सभी समस्याओं का अनुमान कर सकते हैं।
प्रत्येक लग्न के प्रत्येक भाव में आनेवाली प्रत्येक राशि तथा उसके स्वामी आदि के सम्बन्ध में संक्षिप्त विवरण भी दिया गया है जिसके आधार पर व्यक्ति अपनी कुण्डली के बारह भावों के फल का अनुमान सहज ही में कर सकें।
व्यक्तिगत समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए हमने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि वे आजकल जिस रूप में हमारे सामने आती हैं उनका उसी रूप में निर्देश किया जाये; आज विदेश यात्रा, प्रेम विवाह, तलाक, लाटरी, परिवार नियोजन आदि नये रोचक विषय मानव जीवन में प्रविष्ट हो चुके हैं। सर्व-साधारण की उत्सुकता के ऐसे विषयों का यथास्थान उल्लेख करके पुस्तक को सर्वोपयोगी बनाने का प्रयत्न किया है।जो पाठक ज्योतिष में और गंभीर अध्ययन करना चाहें उन्हें हमारी अन्य प्रकाशित शास्त्रीय पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिये। भाषा की सरलता तथा शैली की रोचकता का पूरा ध्यान रखते हुए ज्योतिषशास्त्र को समझने तथा समझकर उसके महत्व की छाप मन में बैठाने में हमारा यह प्रयास सफल सिद्ध हो, इस आशा से यह रचना पाठकों की सेवा में समर्पित है।
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