सर्व सज्जन विद्वान् पुरुषों को विदित हो कि यह प्रश्न शिरोमणि नामक बृहत् ग्रन्थ श्रीयुत वाल्मीक वंशावतंस त्रिपाठी पण्डित राजरुद्रमणि विरचित है। इसके आद्यांत लेख से यह ज्ञात होता है कि आप जगदम्बा देवी के परम भक्त थे, इस ग्रन्थ की मनोहर सुललित कविता अवलोकन करने से श्रीयुत पण्डितराज का विद्वता गौरव भी विद्वानों के सामने छिपा नहीं रहता, आप व्याकरण, कोष, काव्य, छन्दोग्रन्थ, ज्योतिष शास्त्रादि विदयोदधि के पार गामी प्रतीत होते है,
परन्तु यह नहीं जान पड़ता कि श्रीमत पण्डितजी महाराज का निवास स्थान तथा इस ग्रन्थ का निर्माण समय क्या था, यह शीर्ण तथा अशुद्धरूप से उपस्थित था। मैंने परोपकार विचार कर बडे परिश्रम से इसको शुद्धतापूर्वक भाषानुवाद विभूषित करके श्रीयुत सेठ खेमराज श्रीकृष्णदासजी को छापने के लिए समर्पण कर दिया।
संसार में ग्रंथ कर्ता का नाम,यश विख्यात होकर उनका परिश्रम सफल हो और षडंग वेद का नेत्रभूत ज्योतिष शास्त्रान्तर्गत प्रश्न-ग्रन्थ ही तात्कालिक अदभुत फल कहने में प्रधानतया सर्वोपरि विराजमान है, सो प्राचीन उत्तम प्रश्न के बृहद ग्रन्थ तो बहुधा पण्डितों ने अभी तक छिपा रखे हैं, और जो कुछ छोटे प्रश्न ग्रन्थ, जैसे षट्-पंचाशिका, प्रश्नप्रदीप, भुवनदीपक, प्रश्नभैरव, प्रश्नसिन्धु आदि प्रकटरूप से प्रचलित हैं।
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