Prashna Jyotish ke Paanch Pushp
पुस्तक के बारे में
”प्रश्न-ज्योतिष” के द्वारा मानवीय जिज्ञासाओं की शान्ति सम्भव है । जिन लोगों के जन्म के समय का ठीक ज्ञान नहीं है, उनके लिए प्रश्नकुण्डली अत्यावश्यक है । विद्वान लेखक ने अपनी इस लघु पुस्तक में भारतीय ज्योतिष के पाँच मूल ग्रन्थ क्रमश: वाराहमिहिर की रचना ‘दैवज्ञवल्लभा’ पृथुयशस् की रचना’ ‘षट्पंचाशिका ‘पद्मप्रभुदेव विरचित भुवन-दीपक’ नलकंठ रचित प्रश्न तंत्र ‘तथा भयेसल रचित ”आर्यासप्तति” को जो एक स्थान पर एकत्रित करके सरल तथा सुबोध हिन्दी भाषा में प्रस्तुत किया है वह ज्ञान-भण्डार की दृष्टि से स्वागत योग्य है । इसके पूर्व ऐसा शोधपूर्ण ऐतिहासिक कथ इस विषय पर पहले किसी ने लिखने का प्रयास नहीं किया है।
इस पुस्तक के लेखक के.के.पाठक गत पैंतीस वर्षों से ज्योतिष-जगत में एकप्रतिष्ठित लेखक के रूप में चर्चित रहे हैं ऐस्ट्रोलॉजिकल मैगज़ीन, टाइम्स ऑफ ऐस्ट्रोलॉजी, बाबाजी तथा एक्सप्रेस स्टार टेलर जैसी पत्रिकाओं के नियमित पाठकों को विद्वान् लेखक का परिचय देने की आवश्यकता भी नहीं क्योंकि इन पत्रिकाओं के लगभग चार सौ अंकों में कुल मिलाकर इनके लेख प्रकाशित हो चुके हैं । निष्काम पीठ प्रकाशन, हौजखास नई दिल्ली द्वारा भी तक इनकी एक दर्जन शोध पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं । इनकी शेष पुस्तकों को बड़े पैमाने पर प्रकाशित करने का उत्तरदायित्व ‘एल्फा पब्लिकेशन’ ने लिया है।
ताकि पाठकों की सेवा हो सके । आदरणीय पाठकजी बिहार राज्य के सिवान जिले के हुसैनगंज प्रखण्ड के ग्राम पंचायत सहुली के प्रसादीपुर टोला के निवासी हैं । यह आर्यभट्ट तथा वाराहमिहिर की परम्परा के शाकद्विपीय ब्राह्मणकुल में उत्पन्न हुए । इनका गोत्र शांडिल्य तथा पुर गौरांग पठखौलियार है। पाठकजी बिहार प्रशासनिक सेवा में तैंतीस वर्षों तक कार्यरत रहने के पश्चात सन् 1993 ई० में सरकार के विशेष- सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए । ‘इंडियन कौंसिल ऑफ ऐस्ट्रोलॉजिकल साईन्सेज’ द्वारा सन् 1998 ई० में आदरणीय पाठकजी को ‘ज्योतिष भानु’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया । सन् 1999 ई० में पाठकजी को आर संथानम अवार्ड भी प्रदान किया गया । ऐस्ट्रो-मेट्रीओलॉजी उपचारीय ज्योतिष, हिन्दू-दशा-पद्धति, यवन जातक तथा शास्त्रीय ज्योतिष के विशेषज्ञ के रूप में पाठकजी को मान्यता प्राप्त है ।
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