प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सुख-दुख और समस्याएं आती रहती हैं। इनसे मनुष्य कभी मुक्त नहीं होता। यदि सुख की बात छोड़ दें, तो दुख भी एक समस्या ही है। यों समस्याएं किसी भी प्रकार की हो सकती हैं। किसी व्यक्ति का धनाभाव की समस्या होती है, तो कोई व्यवसाय के न चल पाने के कारण अथवा व्यवसाय में होने वाली हानि से जूझ रहा होता है। कभी- कभी व्यक्ति के स्वयं का गलत निर्णय भी समस्याओं की उत्पत्ति कर देता है। प्रायः व्यक्तिगत-संबंधों में आने वाली समस्याएं भी व्यक्ति को परेशान रखती हैं, क्योंकि इनका प्रभाव व्यक्ति के पूरे जीवन पर पड़ता है। इसी प्रकार विवाह आदि की समस्याएं भी चिंता का कारण बनती है। किसी नए वाहन के साथ होने वाली बार-बार की दुर्घटना से भी व्यक्ति चिंतित हो जाता है।
इस प्रकार की बहुत-सी चिंताए हैं, जिनसे रोजाना ही व्यक्ति को दो-चार होना पड़ता है। यदि शीघ्र ही इनका निवारण न हो जाए तो व्यक्ति अंदर ही अंदर घुलने लगता है। इसका एक प्रमुख कारण ‘पितर दोष’ भी है। पितृदोष से कोई भी पीड़ित हो सकता है। केवल बच्चे ही इससे ग्रस्त नहीं होते, बड़े भी हो सकते हैं। स्त्रियां भी इसकी शिकार हो जाती हैं। अच्छे-खासे चलते व्यवसाय पर पितृदोष की कुदृष्टि पड़ जाती है।
इस पितृदोष के कारण स्त्रियों के गर्भ का बच्चा तक नष्ट हो जाता है। यदि किसी युवक या युवती का रिश्ता किसी अच्छी जगह पर हो जाए, तो इस पर भी पितृदोष का कुप्रभाव पड़ सकता है। व्यक्ति की सुख- समृद्धि पर भी पितृदोष की कुदृष्टि पड़ सकती है। अच्छा स्वास्थ्य, सुंदर देह, पारस्परिक संबंध, शिक्षा और सामाजिक प्रतिष्ठा पर भी पितर दोष की कुदृष्टि पड़ सकती है। केवल मनुष्य ही नहीं, बल्कि पशु तक भी नजर पितृदोष से ग्रस्त हो सकते हैं।
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