इस देश में शीघ्रबोध, बालबोध, लघुसंग्रह, ज्योतिःसार इत्यादि बहुत प्राचीन संगृहीत पुस्तकों का प्रचार चला आ रहा है । परन्तु ये पुस्तकें एक तो उत्तम संगृहीत नहीं हैं, दूसरे विशेष प्रचार के कारण बहुत अशुद्ध हो गयी हैं । इस देश के प्राचीन ऋषियों ने अपने अतीन्द्रिय बोध द्वारा जिन समयों में जिन कर्मों का करना उचित समझा है उसी को मुहूर्त कहते हैं । उनको जानना भारतवर्षीय प्रत्येक मनुष्य का कर्त्तव्य है । इसलिए मैंने इस संग्रह को बड़े परिश्रम से तैयार किया है और हिन्दी टीका भी लिख दी है । जो इस शास्त्र को जानते हैं तथा जो नहीं जानते सबके लिए यह पुस्तक लाभदायी है । यदि देशवासी इससे कुछ लाभ उठायेंगे तो मैं अपना परिश्रम सफल समझँगा.
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