फलित ज्योतिष के तीन आधार भूत अंगों – मुहूर्त, विवाह व सन्तान की एक स्थान पर सांगोपांग व्याख्या आधुनिक परिपेक्ष में मुहूर्त की व्यवहारिक उपयुक्तता विवाह के समय का पराशरी व अष्टकवर्ग विधि से निर्णय; वैवाहिक सम्बन्ध – आशाएँ निराशाएँ व आपदाएं द्वि-पत्नी योग , वैधव्य योग, विधुर योग व कुमार योग के ज्योतिषीय कारण । सन्तानोत्पत्ति पर पूर्वपुण्यों का प्रभाव शिशु जन्म कं समय का पराशऱी व अष्टकवगं विधि से निर्धारण पुत्रोत्पत्ति व कन्या के जन्म का योग सन्तान क्षति व गर्भपात एक अभिशाप निस्सन्तान योग व पिता-पुत्र सम्बन्ध्र सभी विषयों का परीक्षित कुंडलियों के विशलेषण द्वारा पाराशरी , जैमिनी व अष्टकवर्ग विधि से तर्क-संगत्त विस्तृत वर्णन ।
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