Phala deepika by Shri Mantreshwar Virchita
फलदीपिका नामक ग्रन्थ के कर्ता श्री मन्त्रेश्वर ग्रन्थारम्भ में भगवान् सूर्य रूप ‘रम ज्योति को नमस्कार करते हुए आशीर्वादात्मक मंगलाचरण करते हैं।
भगवान् सूर्य पितरों को आधे मास अर्थात् 15 दिनों तक, देवों को 6 मास तक व मनुष्यों को आधे अहोरात्र 12 घंटों तक दिखते हैं। इनकी गति कभी उत्तरायण व कभी दक्षिणायन होती है। ऐसी परम ज्योति, हमें व आपको अमित श्री (शोभा, कल्याण सम्पदा व लक्ष्मी) प्रदान करें।
पितरों का वास चन्द्रलोक में माना जाता है। कृष्णपक्ष पितृपक्ष व शुक्लपक्ष देवपक्ष हैं। मासदल अर्थात् आधे मास तक सूर्य का प्रकाश चन्द्रमा पर लगातार वर्धिष्णु भाव से पड़ता है, अतः पितरों को आधे मास तक सूर्य भगवान् के दर्शन होते हैं।
ध्रुवप्रदेशों में 6 मास तक लगातार सूर्य दिखता है। अतः मानवीय वर्ष का आधा देवताओं का प्रकाशात्मक अहोरात्रार्ध होता है।
मनुष्यों को सामान्य अहोरात्र 24 घंटे के आधे समय 12 घंटे सूर्य के दर्शन होते हैं। यह सूर्य ज्योति उर्ध्व रेता योगियों की मंजिल होती है।
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