मुहूर्त विषय का अध्ययन करते हुए, जब मुझे कुछ परिपक्वता उपलब्ध हुई, तब मैंने अपने प्रैतृक पुस्तकालय में प्रस्तुत लघु ग्रन्थ (मुहूर्तदीपक) की एक प्रति ‘बेङ्कटेश्वर प्रेस, मुम्बई’ से प्रकाशित देखी। छानबीन करने पर पाया कि इस ग्रन्थ के उद्धरण परवर्ती मुहूर्त ग्रन्थों में दृष्टिगोचर होकर, इसके महत्त्व की उद्घोषणा कर रहे हैं, परन्तु इसकी हिन्दी टीका कहीं से भी प्रकाशित नहीं है। तब मैंने स्वयं ही इसकी टीका लिखने का सङ्कल्प किया। मैंने अपनी आकाङ्क्षा, चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी को पत्र द्वारा सूचित की और ईश्वर कृपा से उन्होंने उसे तुरन्त स्वीकार कर लिया। उसके परिणामस्वरूप मुहूर्तदीपक पर यह आकाङ्क्षा नामक हिन्दी टीका पाठकों के समक्ष प्रस्तुत है।
मानवधर्मवशात् तथा अल्पज्ञता के कारण, त्रुटियाँ स्वाभाविक हैं। सुधीजन इस हेतु उदारतापूर्वक क्षमा करेंगे।
इस ग्रन्थ की टीका के प्रणयन में पूज्य पिताजी महर्षि अभय कात्यायन जी के बहुमूल्य परामर्श सदैव मेरा पथ आलोकित करते रहे हैं, एतदर्थ मेरा सम्पूर्ण अस्तित्व ही उनके प्रति श्रद्धावनत है । पुस्तक की पाण्डुलिपि तैयार करने में अनुज चि. विवेकमणि का सहयोग सराहनीय रहा, इस हेतु वे हार्दिक स्नेह एवं शुभाशीष के पात्र हैं। संस्कृत वाङ्मय के विख्यात प्रकाशन संस्थान, चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी का परिश्रम निश्चय ही धन्यवादार्ह है, जिन्होंने इस पुस्तक को यथाशीघ्र प्रकाशित कर ज्योतिर्विदों को उपकृत किया ।
यदि प्रस्तुत ग्रन्थ की टीका से ज्योतिष के विद्यार्थियों तथा मुहूर्त के अन्वेषकों का हितसाधन हो सका, तो स्वयं का परिश्रम सफल मानूँगा। विद्वद्वर्ग के सुझाव सदैव ही मुझे प्रेरणा देंगे तथा आगामी संस्करणों को परिमार्जित करने में सहायक होंगे ।
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