आपने उत्तर प्रदेश के अल्मोड़ा जिले की पण्डित परम्परा के ज्योतिर्विदों की वंशावली से ससेवित ‘जुनायल’ ग्राम में जन्म लेकर, अपने पूज्य पिता पंडित हरिदत्त ज्योतिर्विद् से यथोचित ज्योतिष एवं शाक्त तथा तन्त्र शास्त्र का अध्ययन किया। तदनन्तर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से ग्रहगणित एवं फलित ज्योतिष दोनों विषयों में ज्योतिष शास्त्राचार्य की उपाधि प्राप्त कर ब्रह्मर्षि महामना पूज्य पं० मदनमोहन मालवीय जी के सम्पर्क में रहते हुए, प्राच्य विद्या संकाय, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में सन् १९३८ से सितम्बर सन् १९७५ तक अध्यापन-कार्य करते हुए अवकाश ग्रहण किया। सम्प्रति १/२८ हरिहर्ष-निकेतन, नगवा (नलगाँव), वाराणसी में अपने आवास में श्री केदारेश्वर मंदिर में श्री केदारेश्वर लिङ्ग की पूजा-अर्चन साथ अपनी दैनिक पूजा, वेद- पुराण-पाठ और शाक्त तन्त्र उपासना के साथ ज्योतिर्विद्या से जनता की यथोचित सेवा कर रहे हैं। वार्धक्य होने पर भी आप ग्रहगणित-शोधकार्य, ग्रन्थ-लेखन और धार्मिक-सामाजिक कार्यों में संलग्न रहते हैं।
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