अभीष्ट की संसिद्धि हेतु, जब समस्त चेष्टाएँ, प्रभावहीन सिद्ध हों, तो मंत्रशक्ति का उपयोग चमत्कृत कर देता है तथा असंभव प्रतीत होने वाले दुर्गम कार्य, सहज ही सम्पन्न हो जाते हैं। मंत्र शक्ति का उपयुक्त उपयोग करने के लिए अनिवार्यता है, विषय से सम्बन्धित सूक्ष्म संज्ञान के साथ-साथ कार्यविशेष की संसिद्धि हेतु, संदर्भित साधनाओं के विस्तृत ज्ञान के सूक्ष्म तथ्यों के अभिज्ञान की, मंत्र और ज्योतिष के सम्बन्धों के मध्य निर्मित होने वाले सेतु के निर्माण की। मंत्र पुष्पांजलि इसी संदर्भित सेतु के निर्माण की नींव है। यह मानव के परिहार-परिज्ञान से सम्बन्धित समग्र जिज्ञासाओं तथा अनिवार्यताओं और अपेक्षाओं का सर्वसुलभ सुगम समाधान है।
भारतवर्ष में मानवीय चेतना की अल्पता का प्रचार-प्रसार करके आधुनिक परिवेश के विदेशी संस्कृति से प्रभावित व्यक्ति हर्ष का अनुभव करते हैं, जिसका आधार उनकी अल्पज्ञता एवं अपने देश के प्रति निर्बल आस्था है। भारतीय चिन्तन हेतु तो समस्त मानवता कृतज्ञ है। भारतीय ऋषियों ने जितना ज्ञान-विज्ञान, मानवसमाज को प्रदान किया, उतना समस्त विश्व के मनीषियों ने, संयुक्त रूप से भी नहीं प्रदान किया। आस्थाहीन व्यक्तियों को संभवतः यह मिथ्या प्रतीत हो, पर हमने भारतीय ऋषियों की गवेषणाओं, स्थापनाओं एवं उपलब्धियों का दर्शन किया है, जो इतनी पूर्ण एवं महनीय है कि उनसे एकाकार होने के अतिरिक्त, कोई अन्य विकल्प हमारे पास नहीं है
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