ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाताओंसे यह बात छिपी नहीं है कि, यदि बालक का जन्मइष्ट ठीक होगा तो ग्रहोंका फल भी ठीक होगा, और यदि इष्टमें किसी प्रकारकी गड़बड़ी होगई तो सम्पूर्ण फलमें गड़बड़ी मच जाती है, इसलिये बालक के पिताको उचित है कि, सोवर में ऐसी चतुर स्त्रीको नियुक्त कर कि, बालक भूमि पर आकर ज्योंही स्वांस ले कि, तत्काल उसकी सूचना बाहर देनी चाहिये विना इसके जन्म पत्र अशुद्ध हो जाता है बालक का जन्म ठीक समय में हुआ है या नहीं. इसी बातके ठीक करने के निमित्त लग्नजातक से वह सब मेल मिलाना चाहिये, यदि इस लग्नजातक से फल मिल जाय तो जान लेना कि, बालक का इष्टकाल ठीक है, यदि न मिले तो इष्टकाल में अन्तर जानना, और उसको फिर शुद्ध करना चाहिये, इस लग्नजातक में हमने जो जो उपयोगी विषय रखने उचित समझे वे सब इसमें और भी अधिक कर दिये हैं और मुझे आशा है कि, इस छोटेसे ग्रंथको कंठकर पंडित जन प्रसूता स्त्री तथा बालक के विषयमें बड़े चमत्कारिक विषयों को बर्णन करके ज्योतिष शास्त्र की उत्कृष्टता सम्पादन कर सकते हैं
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