इस पुस्तक में सूर्य, चन्द्र, सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण तथा कुरुक्षेत्र और इनसे सम्बन्धित आवश्यक घटकों का सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक, खगोलिक/वैज्ञानिक, वैदिक, पौराणिक, धार्मिक, आध्यात्मिक, ज्योतिषीय तथा नैतिक विवेचन करने का तथा उन्हें प्रमाणित करने का प्रयास मैंने यथासामर्थ्य किया है। कैसा हुआ? कितना उपयोगी है? सार्थकता व गुणवत्ता के स्तर पर कितना खरा है? यह सब निर्णय तो प्रबुद्ध पाठक ही कर सकते हैं। मेरे विवेचन से यदि किसी की धार्मिक भावना को ठेस पहुँची हो तो उसके लिए भी मैं हृदय से क्षमाप्रार्थी हूँ।
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