Kalsarpyog Shanti Aur Ghat Vivah Par Shodhkarya
भोजराज द्विवेदी द्वारा विचरित ‘कालसर्प योग शांति एवं घट-विवाह पर शोधकार्य’ शीर्षक पुस्]तक का यह नवीन संस्]करण निश्चित रूप से कालसर्पयोग से संबंधित भ्रांतियों को दूर करेगा। सर्पों से मैत्री भाव स्]थापित करना, उनकी पूजा से अनंत ऐश्]वर्य और मनोवांछित आशीर्वाद प्राप्]त करना ही भारतीय संस्]कृति की विशेषता है। इस रहस्]य को इस पुस्]तक में विस्]तार से समझाया गया है। प्रबुद्ध पाठकों के अनेक पत्रों में वर्णित समस्]याओं तथा शंकाओं से संबंधित कई प्रस्]तावना इस नए संस्]करण में दी गई हैं इसके साथ कालसर्प योग में जन्]में प्रसिद्ध लोगों की कुंडलियों का विश्]लेषण भी प्रबुद्ध पाठकों हेतु इस पुस्]तक में प्रकाशित किया गया है। साथ ही कुछ आवश्]यक संस्]कृत श्]लोकों का हिंदी में अनुवाद, अनेक महत्]वपूर्ण शंकाओं का हल इस पुस्]तक में नई प्राण-शक्ति संचरित कर रहा है।
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