Jyotish and Rajayoga
ज्योतिषशास्त्र में योगों का विशेष स्थान है। ये योग अनेक प्रकार के होते हैं, ये योग दृष्टी युति तथा अन्योन्याश्रय के प्रत्यक्ष फल के प्राप्त होने में एक क्रांतिकारी विप्लव या परिवर्तन उत्पन्न कर देते हैं, जो कि सर्वसाधारण ज्योतिषियों को तुरंत समझ में न आ सकने के कारण ग्रहों का फलादेश कुछ से कुछ हो जाता है। इसलिए यह आवश्यक हो जाता है कि दरिद्र, प्रवज्या, राजयोगादि का वर्णन कर इस कठिन उलझन को सुलझाने का सफल प्रयत्न किया जाए ताकि सभी पाठक या ज्योतिष में रुचि रखने वाले व्यक्ति पर्याप्त लाभ उठा सकें। ये उपर्युक्त सभी योग ‘यथा नाम तथा गुणा:’ की कहावत को पूर्णरूप से चरितार्थ करते हैं। इन योगों का वर्णन अनेक ग्रंथों में अनेक प्रकार से मिलता है जिनमें राजयोगों को विशेष रूप से महत्त्व दिया गया है। इसलिए हम इस पुस्तक में महत्त्वपूर्ण राजयोगों का वर्णन कर रहे हैं।
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