वाचकवृंद ! भारतवर्षकी इस गिरी हुई दशामें भी यदि ऋषि- योंकी भविष्यवाणीके यथार्थ होने में कुछ प्रत्यक्ष प्रमाण है तो वह ज्योतिष शास्त्र है, यद्यपि इस शास्त्रमें कहे हुए प्रत्येक विषय सत्य हैं; परन्तु ग्रहण, वृष्टि इत्यादिका निर्दिष्ट समयमें होना इत्यादि मुख्य मुख्य बात जिस प्रकार लोगोंके विश्वासको इस शास्त्रकी सत्यतामें दृढ करती हैं, अन्य विषय वैसे नहीं। जो कुछ हो, अभी भारतवर्षमें अनेक मनुष्य इस बातको निर्विवाद स्वीकार करते हैं कि उक्त शास्त्रकी भूत, भविष्य और वर्तमान किसी भी बात में सन्देह नहीं है। शास्त्रोंमें लिखी हुई सभी बातें सत्य हैं। उनमें साम्प्रतमें जो कुछ दोष लोग लगाते हैं वे मनुष्योंके आलस्य, कम परिश्रम करना इत्यादि दोषोंके कारणसे हैं। अब भी कितने ही गणक अपने शास्त्रमें इतने निष्णात मिल सकते हैं कि, वे इस विद्याके मर्मको जानते और सन्दिग्धों के सशयोंको निर्मूल करते हैं। यहां हमको संक्षिप्त सूचना “जातकाभरण” के विषयमें देनी है। गोदावरी नदी के समीप पार्थनगर के निवासीगणकवर श्रीढुंढिराजका बनाया हुआ यह ग्रन्थ जन्मपत्रीके लिखने अथवा उसके फल कहनेमें अत्युपयोगी है। जातकादि अनेक ग्रंथोंको देखनेका कुछ भी परिश्रम उस मनुष्यको न करना पड़ेगा जो केवल इस ग्रन्थको भलीभाँति पढ़कर कण्ठस्थ कर ले।
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