जातकालङ्कार: (Jatak Alankar) सनातन धर्म तथा श्रद्धालु आप लोगों के सम्मुख ज्योतिषशास्त्र एक चमत्कारिक ग्रन्थ है। यह कहना पिष्टपेषण ही है कि आप लोग ज्योतिषशास्त्र के चमत्कारों के विषय में अनुभव करते रहते हैं। यह ज्योतिषशास्त्र त्रिकालरूपी अन्धकार में निहित पदार्थों को दिखलाने में सूर्य के सदृश है। यह भी कहा गया है कि ‘ज्योतिषं नयनं स्मृतम्’ इसके विषय में आपके द्वारा देखा या सुना गया होगा।
यह ज्योतिष शास्त्र गणित तथा फलित दो प्रकार का है। जहाँ गणित विषय के ब्रह्मसिद्धान्त, सूर्यसिद्धान्त आदि ग्रन्थ हैं, वहीं फलित के भी बृहज्जातकादि अनेक ग्रन्थ वर्तमान समय में प्रचलित हैं; परन्तु कोई विस्तृत है तो कोई क्लिष्ट या किसी में एक ही विषय है। इस कारण यह अधिक समय में अभ्यस्त होकर फलदायक होते हैं।
यह जातकालङ्कार-नामक ग्रन्थ श्री गणेश दैवज्ञ द्वारा रचित है, जो सर्वसाधारण के प्रतिपद का दर्पणस्थ प्रतिबिम्ब के सदृश प्रत्यक्ष ज्ञान होने के निमित्त भारतीय विद्या संस्थान, वाराणसी के अनुरोध से पं० सियाराम शास्त्री द्वारा इस ग्रन्थ का सान्वय-शब्दार्थ व्याख्या सुबोधिनी हिन्दी भाषाटीका के अनुसार भली-भाँति विस्तारित किया गया है, जिससे सर्वसाधारण को अनायास ही बोध हो सकेगा।
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