Jaimini Mukta: Pearls From Jaimini
पाराशर द्वारा स्वीकृत लेकिन पाराशर होरा में कुछ कम विस्तार से बताए गए महत्वपृर्ण और सटीक पहलुओं को मुनि जैमिनि ने सूत्र शैली में कहा था । चार अध्याय और लगभग 1100 सूत्रों द्वारा तार्किक शैली में विवेचित फलित ज्योतिष के जैमिनी प्रोक्त सभी नियमों को व्यवहारिक, सरल , सुबोध शैली में वास्तविक उदाहरण सहित समझाया गया है । ० फलित ज्योतिष : पाराशर ने सुझाया , जैमिनि ने बताया; ० पराशर, जैमिनि और वृद्धकारिकाओं की सोलह आना सहमति की त्रिवेणी ; ० यथाप्रसंग पाराशरी होरा के साक्ष्यों से परिपोषित ; ० पद, उपपद, कारकांश , वर्णद, अर्गला आदि का बेबाक विवेचन; ० ग्रह उपग्रह, राशि , भाव , षडवर्ग ,विशेष लग्न ,कारक मारक विवेचन ; ० राशि दशाओं का फल सहित सोदाहरण विस्तृत विवरण; ० पाक व भोग राशि से दशाफल: पराशर व जैमिनि दोनों को मान्य; ० विंशोत्तरी आदि नक्षत्र दशाएं जैमिनि को भी मान्य; ०पाराशरी प्रोक्त आयु निर्णय की एक विशेष पद्धति का जैमिनि द्वारा विस्तार; ०आयु: साधन की पूरी प्रक्रिया उदाहरण सहित; ०प्रसव पूर्व और नवजात (प्रीनेटल & निओनेटल ) ज्योतिष नियमों का साक्षात्कार; ०पिता की कुण्डली से गर्भस्थ शिशु का जन्म समय व लग्न: ०कई नए राजयोगों का विस्तृत उल्लेख; ०त्रिशाशं व कारकांश से रोग विचार की अनोखी और कारगर पद्धति; ०कारकांश से पति पत्नी का अनूठा विचार; वास्तविक उदाहरण; ०स्त्री ज्योतिष के नियमो का मनोहर संगम ; ०मंगलीक आदि दोषों और विवाह भंग के आज भी उपयोगी नियम; ०और अन्त में जैमिनि मुनि के बिखरे मोती; ०रम्य कलेवर: विषय मनोहर: ऋषि मुनि वृद्धों का मत संगम/
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