आचार्य जैमिनि के द्वारा प्रणीत मीमांसासूत्र तथा शास्त्रदीपिका के आधार पर लिखे हुए, माधवाचार्य प्रणीत ‘जैमिनीयन्यायमाला’ इस ग्रन्थ में अत्यन्त सरल तथा संक्षिप्त भाषा में मीमांसा के सभी अधिकरणों का सारांश प्रतिपादित करते हुए उन अधिकरणों का मुख्य प्रतिपाद्य विषय निरूपित किया गया है। मीमांसा दर्शन में प्रवेश के इच्छुक छात्रों के लिये, साथ ही साथ विद्वानों के लिए यह ग्रन्थ अत्यन्त उपयोगी है। प्रत्येक अधिकरण के तत्त्व को यदि संक्षेप में समझना हो, तो शास्त्रदीपिका, भाट्टकौस्तुभ, भाट्टदीपिका जैसे दुरुह ग्रन्थों के बिना ही ‘जैमिनीयन्यायमाला’ के अध्ययन मात्र से सभी अधिकरणों का सारतत्त्व निश्चित रूप से गृहीत हो सकता है।
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