आज अनेक प्रकाशक ‘असली प्राचीन त्नात्न कित्ताब’ आकर्षक कलेवर में ज्योतिष शास्त्र के प्रेमियों को परोसकर लोगों को ज्योतिष शास्त्र के नाम यर ठग रहे हैं। जबकी वे लेखक और प्रकाशक ‘त्नाल किताब’ की हकीकतों से पूरी तरह अनजान हैं । प्रस्तुत पुस्तक “इल्म सामुद्रिक की लाल किताब त्तरमीमणुदा 1942. लाल किताब जो मूल लेखक श्री रूपचन्द जोशी जी द्वारा लिखित ज्योतिष शास्त्र के महान शून्य “लाल किताब” का न सिर्फ हू-ब-हूप्रामारिगक हिन्दी अनुवाद है बल्कि यह पुस्तक ज्योतिष शास्त्र जो उन अनेको रहस्यों कौ भी उजागर करेगी जिनसे आज के युग के तथाकथित ज्योतिष सम्राट भी यूरी तरह अनभिज्ञ हैं, साथ ही यह पुस्तक ज्योतिष विद्या में रुचि रखने वाले जिज्ञासुओं का भी सफल मार्गदर्शन करेगी । मूल रिनाल किताब” के पांच भागों में से प्रस्तुत पुस्तक चौथे पुष्प ग्रन्थ के रूप में प्रकाशित को गई है। पुस्तक में वरिर्गत अचूक कामयाब वैज्ञानिक उपाय आपकी किसी भी समस्या का समादुभन करने में पूर्ण सक्षम हैं, इसमें कोई सन्देह नहीं । दैवज्ञ यं॰ वेणीमाधव गोस्वामी सामुद्रिक को लाल किताब के फरमान (1939), सामुद्रिक की लात्न किताब दो अरमान (1940), सामुद्रिक को स्थान किताब तीसरा हिस्सा (1941), ‘त्नाल बिस्ताब’ (अंग्रेजी), ‘लाल डायरी, ‘उपाय मार्तण्डमू “कौन मंगलीक कौन नहीं’ त्तथा स्तां ‘जमदग्नि भविष्य लघु पंचरि।” आदि दो लेखक
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