Haath ka Angootha: Bhagya ka Darpan
अंगूठे के महत्व को अनेक भविष्य वक्ताओं ने जाना और माना है, किन्तु अंगूठे पर कोई स्वतन्त्र ग्रन्थ अद्यतन दृष्टिगोचर नहीं हुआ। इस दिशा में यह सर्वप्रथम प्रयास है। अब आइए, केवल अंगुष्ठ के द्वारा जानी जा सकने वाली कुछ मुख्य बातों पर ध्यान देंगे। प्रेम, तर्क, शक्ति विवेक, विद्या घमण्ड, क्रोध, वासना, बल, वीर्य के गुण-दोष, चरित्र के मुख्य गुण-दोष, वीमारी, आयु, जीवन का विस्तार, मर्द-नामर्द की परीक्षा, पिता की सम्पत्ति, दादा की सम्पत्ति, भाइयों की संख्या, भाइयों से प्रेम या शत्रुता की जानकारी, मित्र व शत्रुओं की संख्या, देवताओं की अनुकम्पा या प्रकोप का ज्ञान, शिल्पकला, हुनर, शिकारी के लक्षण, असफल व सफल वकील, वक्ता, प्रवक्ता व. नेता का ज्ञान, भाग्योदय, भाग्यास्त, वचपन, जवानी व वृद्धावस्था का भविष्य, जन्म समय में नाल के वेष्टन का ज्ञान, पागलपन व लकवे के कारण, खून का रंग, चर्म रोग, असल नकल की पहचान, राजा व निर्धन की पहचान तथा आत्मबल साधु व ठग की परीक्षा, दयालु व कठोर व्यक्ति की परीक्षा, गुप्तेन्द्रिय का आकार-प्रकार, आनुवंशिक रोग, गुप्तेन्द्रिय पर तिलादि चिन्ह, प्राणशक्ति, इच्छाशक्ति, शारीरिक बल, प्राणवायु की गति, जन्मपक्ष, बारह राशियों के चिन्ह, जन्म लग्न, लग्न के अंश, जन्म समय, इत्यादि सभी विषयों का विशद वर्णन पुस्तक के अगले भागों में पहली बार स्पष्ट किया जा रहा है।
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