मानव-जीवन की साथी हैं – समस्याएं ! ये सदा व्यक्ति के साथ कदम से कदम मिलाकर चलती रहती हैं। व्यक्ति इन समस्याओं से कभी मुक्त नहीं हो पाया है। आज भी ये समस्याएं व्यक्ति को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में अत्यधिक प्रभावित कर रही हैं। इनसे बचना असंभव है, किंतु फिर भी व्यक्ति इन समस्याओं से मुक्त होने के लिए विभिन्न प्रकार के उपायों का आश्रय लेता रहता है।
इसके लिए वह धन आदि का अपव्यय करने से भी गुरेज नहीं करता, किंतु क्या वो ऐसा करके भी इन समस्याओं से कभी मुक्त हो पाया है ?यही समस्याएं जब चिंता का रूप धारण कर लेती हैं तो और भी अधिक घातक हो जाती हैं। इसका कारण यह है कि चिंता को सदैव चिता के समान माना गया है। इसलिए चिंतारूपी समस्याओं के निवारण के लिए व्यक्ति सदा प्रयासरत रहता है। वस्तुतः समस्याओं के निवारण के लिए प्रयास तो करना ही चाहिए।
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