लाल किताब में राहु को कुंडली के तृतीय व षष्ठम भाव में ही शुभ देने वाला कहा जाता है। तृतीय भाव में राहु को आयु व दौलत का मालिक कहा गया है। कहते हैं कि जिस जातक की कुंडली में राहु तृतीय भाव में हो, उसके लिए वह हाथ में बन्दूक लिए खड़ा पहरेदार या रक्षक है। ऐसा राहु जातक को अच्छा स्वास्थ्य तो प्रदान करता ही है, धन हानि भी नहीं होने देता और जातक को दिलेर बनाता है। अन्य ज्योतिषीय मान्यताओं में भी तृतीय यानी पराक्रम भाव में क्रूर व पुरुष ग्रह जैसे-राहु, मंगल, सूर्य व केतु का होना शुभ बताया गया है, जबकि तृतीय भाव में ही शुभ व स्त्री ग्रह जैसे – चन्द्रमा, शुक्र व बुध जातक को उतना दिलेर नहीं बनाते। इसी प्रकार कुंडली के षष्ठम भाव में बैठा राहु जातक के जीवन में आने वाली बड़ी से बड़ी मुसीबत को टाल देता है।
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