ज्योतिष, अध्यात्म, पराविद्या, वास्तु, फेंगशुई और तंत्र-मंत्र-यंत्र के क्षेत्र में परमपूजनीय सद्गुरुदेव श्री श्री प्रमोद सागर जी का नाम आज किसी परिचय का मोहताज नहीं है। प्राचीनतम तथा परंपरागत गूढ़ रहस्यमयी विद्याओं का निरंतर अनुसंधान करते हुए जनसामान्य के लिए उसे सहज व उपयोगी बना देना ही इनके जीवन का एकमात्र मिशन बन चुका है।
समृद्ध व्यावसायिक व प्रतिष्ठित परिवार में जन्म लेकर भारतीय संस्कारों और परंपरागत संस्कृति भरे माहौल के मध्य लालन-पालन के दौरान ही धर्म और अध्यात्म का बीज इनके अन्तः स्थल की गहराइयों में पल्लवित होने की प्रक्रिया प्रारंभ कर चुका था। जन्म से ही अद्भुत, अलौकिक शक्तियों के स्वामी होने का अहसास सद्गुरुदेव श्री श्री की माता जी को इनके जन्म से कुछ क्षण पूर्व ही एक दिव्य स्वप्न में हुई दैवीय आकाशवाणी के माध्यम से हो चुका था। जैसे-जैसे इनकी आयु बढ़ती गई इनके अद्भुत व्यक्तित्व की दिव्यता और अलौकिकता का परिचय अन्य लोगों को भी मिलने लगा।
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