पुस्तक लेखन का मेरा प्रारम्भ निरोगी दुनिया प्रकाशन के माध्यम से पुस्तक देखन में छोटे लगें… के साथ हुआ। यह पुस्तक पाठकों को इतनी अधिक पसन्द आयी कि इसके अनेक संस्करण एक के बाद एक प्रकाशित करने पड़े। इस पुस्तक की यह विशेषता थी कि इसमें जो उपाय बताये गये हैं, वे इतने सरल एवं प्रभावी हैं जिनका प्रयोग करने में किसी भी प्रकार की कठिनाई नहीं होती है। इस कारण से असंख्य पाठकों ने विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिये इस पुस्तक में बताये गये उपायों को काम में लिया और उनकी समस्यायें दूर हुई। इसके साथ ही पुस्तक में दिये गये उपायों के प्रति पाठकों का विश्वास अत्यधिक प्रबल हुआ।
जिस व्यक्ति को उपाय करने से लाभ प्राप्त हुआ उसने अपने मित्रों, परिचितों तथा सम्बन्धियों को इसके बारे में जानकारी दी। परिणामस्वरूप एक के बाद अनेक और अनेक के बाद असंख्य पाठक जुड़ते गये। इस पुस्तक ने ऐसा करिश्मा दिखाया कि पाठक बार-बार मेरे से अनुरोध करने लगे कि इस विषय से सम्बन्धित अन्य पुस्तकों का प्रकाशन भी किया जाये।
मैंने अपने प्रकाशक निरोगी दुनिया प्रकाशन से इस बारे में चर्चा की और तब देखन में छोटे लगें… पुस्तक के दूसरे भाग के रूप में सुख-समृद्धि के दुर्लभ उपाय पुस्तक का प्रकाशन हुआ। यह पुस्तक भी पहली पुस्तक की भांति बहुत कम समय में बहुत अधिक लोकप्रिय हो गई। लोगों ने इस पुस्तक से जितनी आशा की थी उससे अधिक यह पुस्तक उन्हें अच्छी लगी। इस पुस्तक में भी विभिन्न समस्याओं के समाधान प्राप्त करने के उपयोगी एवं अनुभूत उपाय प्रकाशित किये गये हैं।
Reviews
There are no reviews yet.