Darshaphal Rahasya
भारतीय ज्योतिष के अनुसार घटनाओं के समय को निर्धारित करने की पद्धति को दशा-पद्धति कहते हैं। ‘दशा’ शब्द का अर्थ है ‘स्थिति’, ‘अवस्था’, ‘हालत’ अथवा ‘परिस्थिति’ । स्पष्ट है कि स्थिति आदि शब्दों से तात्पर्य उस अच्छी, बुरी अथवा साधारण हालत से है जो कि जीवन के किसी भी विभाग से सम्बन्ध रखती हुई किसी समय विशेष में पाई जावे। पाश्चात्य देशों वाले घटनाओं का समय प्रोग्रेशन (Progression) द्वारा निकालते हैं।किसी विशेष समय पर क्या-क्या और कैसी घटनाएं घट सकती हैं–इस बात का निर्णय मौलिक रूप से कुण्डली में ग्रहों की अच्छी-बुरी स्थिति पर निर्भर करता है। जन्म समय के ग्रह ही अपनी विशिष्ट स्थिति के अनुरूप समयान्तर में शुभाशुभ फल देते हैं। जैसे कोई भी बीज समय पाकर पत्र-पुष्प तथा फल की शक्ल पाता है और उस वृक्ष की टहनियों और फूलों आदि की वही शक्ल निकलती है जो बीज में निहित होती है। इसी प्रकार जो प्रारब्ध कर्म मुनष्य के जीवन में फल देने को उद्यत हैं वे ग्रहों की स्थिति द्वारा फलीभूत होते हैं।
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