कोटिशः धन्यबाद उस परब्रह्म परमेश्वरको है जिन्होंने अपनी अनुपम शक्तिसे बेदादि सत्यशास्त्रोंको प्रकट किया जिनको पढ़कर मनुष्यसमस्त पदार्थोंको यथावत् जान सकते हैं तत्पश्चात् हमारे पूर्वज महर्षियोंको भी धन्यवाद है कि जिन्होंने बेदादि सत्यशास्त्रोंको मबकर ज्योतिष शास्त्रको प्रकट किया और उसके बड़े २ लक्षानधि ग्रन्थ बनाये। जिनमें गणितविद्या अति विलक्षण और चमत्कारक है कि जिसके द्वारा आकाशको वार्ता अर्थात् सूर्यादिग्रहॉकी चाल वक्री मार्गी तथा ग्रहणादिक जाने जाते हैं। उसी गणितके प्रभावसे आगामी ग्रहणोंका निश्चय करके विद्वान् लोग भारतनिवासी मनुष्योंको पहलेसे ही बता देते हैं। उसी शास्त्रके प्रभावसे लोकमें कोति और प्रतिष्ठाको प्राप्त होते हैं। विशेष देखा गया तो ज्योतिष शास्त्र ही मुख्य शास्त्र है, अन्य शास्त्र विनोदमात्र हैं। इसी शास्त्र द्वारा पण्डितजन भूठ, भविष्य, वर्तमान वार्ता कहनेमें समर्थ होते हैं।
अतएव हमने भी उसी ज्योतिष शास्त्रके अनेकानेक ग्रंथ फलित विद्याके विचार और उनको अच्छी तरह समझकर यह एक नवीन ग्रंथ तैयार किया है। यह ग्रंथ ज्योतिषके अनेक विषयोंसे पूर्ण है, जैसे कि संवत्सर फल मास, दिन, संक्रांति, उत्पात, अहॉकी गति, वक्री, होना, उदय, अस्त, राक्षियों में गमन, नक्षत्रगति, नक्षत्रोंमें ग्रहोंका गमन, वारानुसार उदयास्तफल, तिथि- अनुसार वर्षज्ञान, मेघ प्रश्न, वर्षांचे लक्षण इत्यादि बहुत ही वर्षा जानने के अनेक उपयोगी विषय इसमें लिखे हैं।
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