लेखक की ओर से
द्वादश भाव सम्बन्धी फलित ज्योतिष के सिद्धान्तों का जैसा संक्षिप्त परन्तु स्पष्ट एवं व्यावहारिक रूपह में निम्नलिखित तीन ग्रन्थों में देखने का अवसर मिला, वैसा अन्यत्र कहीं नहीं मिला । येतीन ग्रन्थ हैं:-श्री भास्कराचार्य रचित ‘भास्कर भाव-दीपिका’, किसी अज्ञात लेखक की ‘भाव-चन्द्रिका’ तथा श्री यज्ञनारायण सौम्य जी के सुपुत्र श्री वेंकटेश दैवज्ञ द्वारा रचित ‘जातक चन्द्रिका’ । फलित ज्योतिष की ये तीनों ही पुस्तकें अत्यन्त शिक्षाप्रद एवं प्रामाणिक सामग्री से भरपूर हैं।
प्रस्तुत रचना में हम इनमें से पहली दो- ‘भास्कर भाव दीपिका’ तथा ‘भाव चन्द्रिका’ का हिन्दी रूपान्तर दे रहे हैं। साथ ही इस रचना को और अधिक रोचक, सुबोध एवं विश्वसनीय बनाने के उद्देश्य से हमने उपयुक्त स्थानों पर ज्योतिष के अन्य मान्य ग्रन्थों के सिद्धान्तों से तुलना की है तथा अपने अध्ययन एवं अनुभव के आधार पर अपने विचार भी प्रकट किये हैं। आवश्यकतानुसार उदाहरण-कुण्डलियों द्वारा पुस्तक के प्रतिपाद्य विषय की सत्यता भी प्रमाणित की है।
हमारी प्रस्तुत रचना कभी यह रूप धारण न करती यदि बम्बई के प्रसिद्ध ज्योतिषी स्व० एन० एन० कृष्णराव, एम० ए० की खोज एवं शोधवृत्ति से हम लाभ न उठा सके होते । सौभाग्य से हमें राव महोदय के सुपुत्र श्री एस० के० अय्यर का पूरा सहयोग मिला। उनकी असीम कृपा, उदारता एवं अनुमति से इनका हिन्दी रूपान्तर कर हम इन अनमोल ग्रन्थों की अलभ्य एवं उपयोगी सामग्री को पाठकों के सन्मुख उपस्थित कर रहे हैं।






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