इस संसार में जन्म लेने तथा निष्ठुरतापूर्वक काल के कराल गाल में समा जाने वाला जातक चाहे जितनी शेखी बघारे, किन्तु वह अपने चारों ओर की परिस्थितियों का गुलाम ही होता है। वह जातक इस अनवरत चल रहे संसार-चक्र की एक कील मात्र है, उससे अधिक कुछ नहीं।
जन्मकुंडली का अध्ययन राजकौशल, सरकार-प्रशासन और सुरक्षा सेवाओं के लिए अत्यंत लाभदायक हो सकता है। जन्मकुंडलियां प्रामाणिक जातकों की स्पष्ट सूचक होती हैं। जिन विभागों में भ्रष्टाचार के अवसर होते हैं, यदि वहां पर ज्योतिष विद्या के ज्ञाताओं को अध्यक्ष नियुक्त किया जाए तो एक स्वच्छ प्रशासन की आशा की जा सकती है।
जन्मकुंडलियां साहस, शौर्य और सफलता को भी स्पष्ट सूचित करती हैं। यदि ऐसे जातकों को देश की सशस्त्र सेनाओं का सर्वेसर्वा बना दिया जाए तो वे देश के लिए सफलता और यश- दोनों का अर्जन कर सकते हैं।
जन्मकुंडलियां मानव-जीवन की घटनाओं की पूर्व सूचना देने में सक्षम होती हैं। सत्रहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में जब धूर्त्त औरंगजेब ने महान मराठा योद्धा शिवाजी को एक व्यक्तिगत बैठक के निमित्त आमंत्रित किया, तब हर किसी को यह आशंका थी कि उन्हें बंदी बनाकर मौत के घाट उतार दिया जाएगा।
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