गणित एवं फलित ज्योतिषशास्त्र के दोनों ही पक्षों में ‘लग्न’ का बड़ा महत्त्व है। ज्योतिष में लग्न को बीज कहा गया है। इसी पर फलित ज्योतिष का सारा भवन, विशाल वटवृक्ष खड़ा है। ज्योतिष में गणित की समस्या तो कम्प्यूटर ने समाप्त कर दी परन्तु फलादेश की विकटता ज्यों की त्यों मौजूद है। बिना सही फलादेश के ज्योतिष की स्थिति निर्गन्ध पुष्प के समान है कई बाद विद्वान् व्यक्ति भी, व्यावसायिक पण्डित जी, जन्मकुण्डली पर शास्त्रीय फलादेश करने से घबराते है, कतराते है। अतः इस कमी को दूर करने के लिए प्रस्तुत पुस्तक का लेखन प्रत्येक लग्न के हिसाब से अलग-अलग पस्तुकें लिख कर किया जा रहा है। ताकि फलित ज्योतिष क्षेत्र में एक नया मार्ग प्रशस्त हो सके।
सबसे पहले हम ‘कर्कलग्न’, ‘मेषलग्न’ की पुस्तक प्रकाशित की। जिसका ज्योतिष की दुनिया में जोरदार स्वागत हुआ। अब यह ‘वृषलग्न’ की पुस्तक पाठकों के हाथों में सौंपते हुए अत्यन्त हर्ष हो रहा है। वृषलग्न में भगवान श्रीकृष्ण, महात्मा कबीर, विश्व कोकिला लता मंगेशकर, बर्नाड शॉ, मायावती, शत्रुध्न जैसे व्यक्तित्व हुए हैं। वृषलग्न की इस हिन्दी पुस्तक का अंग्रेजी व गुजराती संस्करण भी शीघ्र प्रकाशित होगा। वृषलग्न की स्त्री जातक पर हम अलग से पुस्तक लिखकर अलग प्रकार से फलादेश देने का प्रयास कर रहे हैं।
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