ज्योतिष शात्र जगत को प्रकाशवान करने वाले सूर्य की एक किरण कहते हैं। सूर्य ऋतुओं तथा पवन का निर्माता और विश्व को नियन्त्रित करने वाला देवता है। ज्योतिष है ज्योतिस अथवा प्रकाश या मण्डल ये सूर्य के छः अंगों में से एक है। ये सूर्य की दो आँखें भी मानी जाती है।
विष्णु भगवान ने ब्रह्मा को ज्योतिष शास्त्र का ज्ञान दिया था। इस ज्ञान को भगवान ब्रह्मा ने ऋषियों को प्रदान किया। जिन महा ऋषियों को ज्योतिष का यह ज्ञान प्रदान किया गया उनमें से महर्षि गर्ग प्रमुख थे।
नक्षत्रों पर आधारित भविष्यवाणी का उद्गम वैदिक काल में हुआ था, तब इसे “वेदान्त ज्योतिष” कहते थे। नक्षत्र शब्द संस्कृत से उत्पन्न हुआ हैं एक विचार के अनुसार इसका अर्थ (नक्ष प्रवेश) + (त्र = रक्षा करने वाला) है। अतः कुल मिलाकर प्रत्येक नक्षत्र 28 देवताओं में से प्रत्येक का घर अथवा निवास होता है, जो नक्षत्रीय तथा सौर विकास का रक्षा तथा संचालन करते हैं।
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