जहाँ माँ वीणावादिनी का वरदहस्त तथा विश्व के कोने-कोने से भेजे गये इष्ट मित्रों प्रशंसकों एवं प्रबुद्ध पाठकों के असंख्य पत्र इस पुस्तक को संशोधित करने की प्रेरणा देते रहे, वहीं इंस्टीट्यूट ऑफ वास्तु एवं जॉयफुल लिविंग के प्रधानाचार्य श्री सेवाराम जयपुरिया व संस्थान की उपाध्यक्ष श्रीमती पूर्णिमा गिरहोत्रा द्वारा कुछ मौलिक अनुभूत प्रयोगों की जानकारी भी इस पुस्तक की प्रस्तुति में सहायक रही।
इसके अतिरिक्त में अनुग्रहित हूँ योगऋषि स्वामी रामदेव जी, आदिशंकराचार्य वैदिक एजुकेशन सोसाइटी के चेयरमैन श्री परमेश्वर दयाल लखानी तथा संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की प्रसिद्ध पत्रिका (तथास्तु) के प्रमुख संपादक श्री जॉर्जी भाला का. जिन्होंने सदैव हमारे हर कार्य को सहयोग व प्रोत्साहन दिया है।
साथ ही मैं हार्दिक धन्यवाद प्रकट करता हूँ इस पुस्तक के प्रारम्भ से पूर्ण होने तक प्रेमपूर्ण सहयोग के लिए अपनी प्रिय अर्धांगिनी श्रीमती लक्ष्मी शर्मा का जिनके निःस्वार्थ सर्मपण के बिना इस जीवन की समस्त उपलब्धियां असंभव थीं।
अंत में आभार प्रकट करता हूँ श्री नरेन्द्र वर्मा, निदेशक डायमंड पॉकेट बुक्स सहित संस्थान के समस्त साथियों का जिनके अनन्त उत्साह एवं लगन के बिना यह पुस्तक इस रूप में पाठकों के समक्ष नहीं पहुँच पाती।
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