”मंगली योग” से सम्बधित समस्त पहलुओं का विश्लेषण मैंने इस पुस्तक में किया है यह विषय अत्यधिक प्रचलित होने पर आज भी पूर्णत स्पष्ट नहीं है । विशेष आग्रह किए जाने पर सर्वप्रथम मैंने इरा विषय के महत्वपूर्ण तथ्यो को इस पुस्तक में लिखा है नगली योग का मिलान कुण्डली मिलान में किरन प्रकार किया जाए तथा कितना आवश्यक है, कितना प्रभावी है साथ ही मंगली से संबधित समस्त विषय इस पुस्तक में संकलित है ।
लिखते समय मेंरा यही उद्देश्य होता है कि गंभीर विषय को भी सहजता और सरलता के साथ प्रस्तुत किया जाए जिससे पाठक आसानी से विषय को समझे क्लिष्ट भाषा का उपयोग तथा विषय को घुमा फिरा कर लिखना मैं उचित नहीं समझती भाषा की सरलता ही विशेषता है । इस पुस्तक के द्वितीय संस्करण में मगल के अन्य स्थान में स्थित होने पर तथा विभिन्न राशियों में स्थित होने के फल का भी समावेश किया है जिससे यह स्पष्ट होता है कि मगल अन्य स्थान में स्थित होकर भी हानिकारक हो सकता है।
”ज्ञान बाटने से बढता है” इसी पक्ति को ध्यान में रखते हुए मुझे ईश्वर ने जो भी शान दिया है उसे किसी भी रूप में प्रदान करती हूं जिससे अन्यों का भला हो तथा पाठकगण विषय को समझकर उस विषय में अग्रणी हो जिससे ज्ञान शीघ्रता से बढे न कि किसी एक जगह रिथर रहे किसी भी विषय में पारंगता पाना कठिन है मुझे ईश्वर कृपा और पठन, पाठन तथा अनुभव द्वारा जो भी प्राप्त हुआ पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है ।
मुझमें कुछ भी नही सब ईश्वर तथा गुरु का दिया हुआ है। उसे जो भी किसी को देना होता है वो किसी न किसी रूप में दे देता है। फिर हम किसी को देने वाले या करने वाले कौन हैं । सब उसकी लीला है । वैरने कमी कहीं भी पाई जा सकती है। यदि इस पुस्तक से आप लाभान्वित हुए तो निश्चय ही मेंरा और आपका प्रयास सफल हुआ।
आपके महत्वपूर्ण सुझावों का सदैव स्वागत किया जाएगा । अपनी त्रुटियों तथा कमियो के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ ।
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