Tantra Shastra of Bhairavi and Dhumawati
दस महाविद्या तन्त्र ग्रंथ माला’ की यह पाँचवीं पुस्तक है। इसमें षष्ठी विद्या- भगवती भैरवी तथा सप्तमी विद्या-भगवती धूमावती के मन्त्र तथा उनकी पूजन, साधना एवं काम्य-प्रयोग सम्बन्धी विधियाँ संकलित की गई हैं।
भैरवीतन्त्र’ भाग के अन्तर्गत भगवती त्रिपुर भैरवी के अतिरिक्त पंचकूटा, सम्पत्प्रदा, चैतन्य, षट्कूटा, रुद्र, भुवनेश्वरी, अन्नपूर्णा, कौलेश, सकल सिद्धिदा, भय-विध्वंसिनी, कामेश्वरी, नित्यट नवकूट बाला, निपुर बाला तथा बाला भैरवी से सम्बन्धित विविध मंन्त्र तथा उनकी शास्त्रीय प्रयोग विधियाँ दी गई हैं तथा ‘धूमावती तन्त्र’ भाग के अन्तर्गत भगवती धूमावती के मन्त्रों की प्रयोग विधियाँ प्रस्तुत की गई हैं।
दोनों ही भागों में क्रमशः भगवती त्रिपुरभैरवी तथा धूमावती से सम्बन्धित कवच, हृदय, अष्टोत्तरशतनाम तथा सहस्रनाम स्तोत्र आदि दिए गये हैं, ताकि साधकों को इस हेतु कहीं अन्यत्र भटकने की आवश्यकता न रहे।
इसके साथ ही दुष्प्राय ‘निरुत्तर तन्त्र’ को संकलित कर, इसे वीराचारी साधकों के लिए भी उपयोगी बना देने की चेष्टा की गई है।
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