Sangya Vichar
Publication: Alpha Publication
(1) लग्न से शरीर का तथा (2) होरा वर्ग कुण्डली से सम्पत्ति या आर्थिक स्थिति का ज्ञान प्राप्त होता हे । इसी प्रकार वह आगे बताते हें कि (3) द्रेष्काण से बल, पराक्रम व भाइयों के सुख का तथा (4) चतुर्थाश से भाग्य, भूमि व घर–परिवार का सुख जानें। (5) सप्तमांश से भार्या सन्तान या अगली पीढ़ी अर्थात पुत्र–पोत्रादि का विचार तथा (6) नवमांश से पत्नी, ससुराल व दाम्पत्य जीवन का विचार किया जाता हे । (7) दशमांश वर्ग कुण्डली से आजीविका या किसी महत्त्वपूर्ण कार्य योजना की सफलता का तथा (8) द्वादशांश से माता–पिता की स्थिति व उनके सुख–दुःख का विचार किया जाता है । (9) षोडशांश वर्ग कुण्डली से वाहन सुख (10) विंशांश कुण्डली से देव उपासना व मंत्र सिद्धि तथा (11) चतुर्विशांश वर्ग कुण्डली से विद्या ओर बुद्धि बल का विचार किया जाता हे । (12) भांश या सप्तविशांश से जातक के बलाबल अर्थात गुण–दोष व शक्ति और दुर्बलताओं को जाना जाता है । (13) त्रिशांश से विविध प्रकार के अरिष्ट व कर? फल का चिन्तन तो (14) खवेदांश से जीवन में मिलने वाले शुभ व अशुभ फल की मात्रा का ज्ञान होता है । ( 15) अक्षवेदांश ओर (16) षष्टयांश से सभी प्रकार की बातोंका विचार किया जाता है।
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