राहु और केतु महाभयानक और मारक ग्रह हैं। इन्हें कलियुग में प्रत्यक्ष प्रभाव देने वाला तथा दुःख एवं शोक का प्रतीक माना गया है। मरण, भय, पतन, अपमान, रोग, क्लेश, दरिद्रता, बदनामी, पाप, बेकारी, निन्दा, नीच लोगों का आश्रय, कर्ज, दासता आदि इनके मुख्य लक्षण हैं। प्रस्तुत पुस्तक में इन क्रूर ग्रहों को शांत करने एवं इनसे मुक्ति पाने का विस्तार से उल्लेख किया गया है।
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