इंसान का मन जितना निर्मल व सरल होता है, धर्म उतना ही अधिक उसके जीवन में फलीभूत होता है। आज के भौतिक युग में भी एक युवा का आध्यात्मिक रूझान उसे सूर्योदय की नगरी (जापान) से, भगवान बौद्ध की नगरी (बिहार, भारत) की ओर खींच लाया।
आज से 35 वर्ष पूर्व सिमित अंग्रेजी ज्ञान, बहुत कम पैसे और अनगिनत सपनों के साथ बिना कुछ सोचे-विचारे, वह यूवा अध्यात्म की लौ जगाने एक नई मंजिल की तलाश में निकल पड़ा। उस पवित्र भुमि पर आकर उसे बौद्ध भिक्षु बनने की प्रेरणा मिली, जहाँ भगवान बुद्ध ने सिद्धी प्राप्त की थी। और राजगीर में आपने दीक्षा ली अपने दीक्षित जीवन में प्रायः उसने भारत के सभी प्रान्तो का भ्रमण किया तथा भिखारी, ऑटोरिक्शा ड्राइवर, गरीब, अमीर, बच्चों सहित पशु-पक्षी भी उसके अच्छे मित्र बन गए थे। यह भिक्षु रोजमर्रा में उनके कष्टों का, उनके विश्वास का उनके सपनो व आशाओं का भी गवाह बना।
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