देखना चाहिये कि, इस संसारमें परमात्मा ने ज्योतिषशास्वरूपी एक कैसा अद्भुत रत्न पैदा किया है कि, जिसके द्वारा संपूर्ण प्राणियोंको तीनों जन्म और जन्ममरणका हाल सूचित होता है। ब्रह्माजोने जिस समय वेदके चार भाग किये उभी समय छः अंग-शिक्षा १, कल्प २, व्याकरण ३, निरुक्त ४, छन्द ५, ज्योतिष ६ ये बनाये । तहां व्याकरणको वेदका मुख, ज्योतिष को नेत्र, निरुक्तको कर्ण, कल्पको हस्त, शिक्षाको नासिका, छन्दको दोनों पग बनाये हैं और सिद्धांत- शिरोमणिका भी यही मत है-
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