Jyotish aur Dhan Yog
संसार का प्रत्येक मनुष्य चाहे वह किसी भी जाति, धर्म व संप्रदाय का क्यों न हो, धनवान बनने की प्रबल इच्छा, उसके हृदय में प्रतिपल, प्रतिक्षण विद्यमान रहती है। शास्त्र में चार पुरुषार्थ कहे गए हैं- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष धर्म को अर्थ खा गया, काम अर्थ में तिरोहित हो गया। मोक्ष की किसी को इच्छा नहीं है । अत: ले देकर केवल ‘अर्थ’ ही रह गया जिस पर गरीब, अमीर, रोगी, भोगी और योगी सभी का ध्यान केंद्रित है । पर धन तो भाग्य के अनुसार ही मिलता है । के दरिद्र योग, भिक्षुक योग, कर्जयोग, सदाऋण ग्रस्त योग, लक्षाधिपति योग, करोड़पति योग, अरबपति योग, कुबेर योग, किन-किन योगों एवं दशाओं में मनुष्य धनवान बनता है इन सब पर संपूर्ण विवेचन, उदाहरण सहित पहली बार इस पुस्तक में प्रस्तुत किया गया है।
धन योग के कारण और निवारण की शास्त्र – सम्मत विधि पहली बार आप इस पुस्तक के माध्यम से पढ़ पाएंगे। किस ग्रह की शांति किस विधि से करनी चाहिए ? दुर्योगों की निवृति के कौन से चमत्कारी एवं सरल उपाय हैं, जिसके करने से व्यक्ति धनवान हो सकता है । इन सब बातों का विस्तार पूर्वक समाधान आपको पहली बार इस पुस्तक में मिल पायेगा । अंतर्राष्ट्रीय ख्यातिप्राप्त विद्वान् लेखक पं० भोजराज द्विवेदी की यशस्वी लेखनी से आबद्ध प्रस्तुत ‘शोध ग्रंथ’ ज्योतिष जगत् की एक अमूल्य धरोहर है।
Reviews
There are no reviews yet.