यह पुस्तक अमृता जी और मेरे बीच वार्तालाप की उपज है। इस वार्तालाप में एक गंभीर जिज्ञासा में से कोई प्रश्न पैदा होता है तो उस प्रश्न को सही संदर्भ में समझने की कोशिश में ही कोई उत्तर जन्म ले लेता है। ये प्रश्न और उत्तर किसी भी परंपरा में सीमित नहीं हैं। यह पुस्तक ज्योतिष के जिंदगी से एक गहरे रिश्ते की दास्तान है। ज्योतिष के कुछ अनकहे तथ्यों की कहानी है-त्रिक भवनों की कोई भेद भरी गाथा है।
इस पुस्तक में उपाय और उसके तत्व विज्ञान कों समझने पर जोर दिया गया है। ठीक उपाय लाभदायक हो सकता है, पर गलत उपाय खतरनाक भी हो सकता है, इस पहलू से विशेष दृष्टिकोण से देखने की कोशिश की गई है। इस पुस्तक को पढ़कर अगर कोई ज्योतिष तथ्य किसी के निजी ज्योतिष ज्ञान से अलम आए तो मुझे कोई एतराज नहीं होगा। मेरी नजर में सच केवल एक मरीचिका है जो सदा अमर है, पर इसका कोई अस्तित्व नहीं होता। विशेष दृष्टिकोण ही हर गहराई में से कोई नया सच खोज लेता है।
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