सबसे पहले तो संभवत यह दुनिया की अकेली पुस्तक है जो कर्म/आजीविका विचार पर प्राचीनतम से लेकर अधतन उपलब्ध साहित्य पर एक संक्षिप्त किन्तु विहगम दृष्टि डालते हुए उन सबो का सार प्रस्तुत करती है. फिर उनमे से कर्नल गौर मात्र उन्ही मोतियों को चुनकर मला बनाते है जो समसमायिक है – आज के समाज के लिए भी उपयोगी है i यह पुस्तक एक प्राय अछूता विषय उठाती है – शिक्षा और आजीविका. जातक की शिक्षा कैसी हो की उसके अनुकूल उसे आजीविका मिले जिससे की उसे धन भी मिले और सुख भी i वर्ग कुंडलियों का उपयोग करके शिक्षा और आजीविका का अदभुत समन्वय इस पुस्तक की दूसरी विशेषता है
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