विघ्नों के समूहों का नाश करने वाले शोभायुक्त श्रीदेवी के चरणों को मैं बारम्बार नमस्कार करता हूँ क्योंकि जिस देवी के अर्घ, नमस्कार करने से उत्तम बुद्धि होती है। अब जैसे दही में से सार रूप घृत मथा जाता है वैसे सब ग्रन्थों में से मथा हुआ सार रूप ‘अर्घप्रकाश’ नाम वाले ग्रन्थ को कहेंगे।
इस ग्रन्थ में तिथि वार सत्ताईस नक्षत्र इनके शुभाशुभ फल और जिन ग्रहों से महंगा सस्ता भाव मालूम हो सकता है उनका फल कहेंगे। इस पुस्तक में बहुत सारे ऐसे सिस्टम का भरमार है, जिसे अनुकरण करने पर पाठक को उनके इच्छित फल प्राप्त होते है। अर्घ देना और देव देवियों को चढ़ावा देने के कई नियम और आधार होते है,
अगर इस पद्धति से अर्घ दिया जाय तो देव या देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है अन्यथा नहीं। अर्घ देने से पहले व्यक्ति को शुद्ध होकर निर्मल वस्त्र पहनकर देव या देवियों का नाम लेकर और मंत्रोच्चारण कर फिर देना चाहिए।
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