वित्तार्जन,वित्त संचय तथा वित्त वृद्धि के विविध विधानके अन्यास, अलौकिक शोध सिद्धान्तों से आलोकित ग्रहयोगों तथा उपयुक्त उदाहरणों से अलंकृत, आचार्यानुमोदित शास्त्र संदर्भित ग्रन्थ ‘वित्त विचार’ समस्त प्रबुद्ध पाठकों, ज्योतिष प्रेमियों के अभिज्ञान के विस्तार तथा हितार्थ कंचन सदृश है।’वित्त विचार की सम्रग सारगर्भित संपुष्ट तथा सर्वभाँति समृद्ध साम्रगी को अग्रांकित चार अध्यायों में संयोजित संकलित किया गया है–सिन्धुसुता, सुधाकर सहोदरा: लक्ष्मी विपुल वित्तार्जन एवं विंशोत्तरी दशा दिग्दर्शन।
विपुल वित्तार्जन एवं विंशोत्तरी दशा दिग्दर्शन शीर्षांकित अध्याय इस कृति का वैशिष्ट्य है जिसमें विंशोत्तरी दशा के दुर्लभ रहस्यों और सूक्ष्म तिा सत्य भविष्य कथन के बहुपरीक्षित, प्रतिष्ठित,प्रशंसित, प्रसिद्ध परमोपयोगी सिद्धान्तों का विवेचन किया गया है। अन्य अध्यायों में वित्त सम्बन्धी ग्रहयोगों के अतिरिक्त भाग्य वृद्धि और वित्तार्जन के आधारभूत सत्य को जिज्ञासु पाठकों के समक्ष देश के विख्यात, ज्योतिष शास्त्र के मर्मज्ञ तथा सत्तर से भी अधिक वृहद् शोध प्रबन्धों के रचनाकार श्रीमती मृदुला त्रिवेदी एवं श्री टीपी त्रिवेदी ने सर्वजन हितार्थ प्रस्तुत किया है।
‘वित्त विचार’ वित्तार्जन वित्तोद्गम वित्त वृद्धि वित्त संचय, विपुल वित्त विस्तार के विविध विधानों से संपुष्ट सर्वाधिक प्रामाणिक शोध प्रबन्ध है, जो वित्त सम्बन्धी समस्त संत्रास को महकते मधुमास में रूपांतरित कर देने वाला सुधा कलश है एवं समस्त ज्योतिष प्रेमियों के लिए पठनीय, अनुकरणीय एवं संग्रहणीय है।
संक्षिप्त परिचय
श्रीमती मृदुला त्रिवेदी देश की प्रथम पक्ति के ज्योतिषशास्त्र के अध्येताओं एवं शोधकर्ताओ में प्रशंसित एवं चर्चित हैं। उन्होंने ज्योतिष ज्ञान के असीम सागर के जटिल गर्भ में प्रतिष्ठित अनेक अनमोल रत्न अन्वेषित कर, उन्हें वर्तमान मानवीय संदर्भो के अनुरूप संस्कारित तथा विभिन्न धरातलों पर उन्हें परीक्षित और प्रमाणित करने के पश्चात जिज्ञासु छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करने का सशक्त प्रयास तथा परिश्रम किया है, जिसके परिणामस्वरूप उन्होंने देशव्यापी विभिन्न प्रतिष्ठित एवं प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओ मे प्रकाशित शोधपरक लेखो के अतिरिक्त से भी अधिक वृहद शोध प्रबन्धों की सरचना की, जिन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि, प्रशंसा, अभिशंसा कीर्ति और यश उपलव्य हुआ है जिनके अन्यान्य परिवर्द्धित सस्करण, उनकी लोकप्रियता और विषयवस्तु की सारगर्भिता का प्रमाण हैं।
ज्योतिर्विद श्रीमती मृदुला त्रिवेदी देश के अनेक संस्थानो द्वारा प्रशंसित और सम्मानित हुई हैं जिन्हें ‘वर्ल्ड डेवलपमेन्ट पार्लियामेन्ट’ द्वारा ‘डाक्टर ऑफ एस्ट्रोलॉजी’ तथा प्लेनेट्स एण्ड फोरकास्ट द्वारा देश के सर्वश्रेष्ठ ज्योतिर्विद’ तथा ‘सर्वश्रेष्ठ लेखक’ का पुरस्कार एवं ‘ज्योतिष महर्षि’ की उपाधि आदि प्राप्त हुए हैं । ‘अध्यात्म एवं ज्योतिष शोध सस्थान, लखनऊ’ तथा ‘द टाइम्स ऑफ एस्ट्रोलॉजी, दिल्ली’ द्वारा उन्हे विविध अवसरो पर ज्योतिष पाराशर, ज्योतिष वेदव्यास ज्योतिष वराहमिहिर, ज्योतिष मार्तण्ड, ज्योतिष भूषण, भाग्य विद्ममणि ज्योतिर्विद्यावारिधि ज्योतिष बृहस्पति, ज्योतिष भानु एवं ज्योतिष ब्रह्मर्षि ऐसी अन्यान्य अप्रतिम मानक उपाधियों से अलकृत किया गया है ।
श्रीमती मृदुला त्रिवेदी, लखनऊ विश्वविद्यालय की परास्नातक हैं तथा विगत 40 वर्षों से अनवरत ज्योतिष विज्ञान तथा मंत्रशास्त्र के उत्थान तथा अनुसधान मे सलग्न हैं। भारतवर्ष के साथ-साथ विश्व के विभिन्न देशों के निवासी उनसे समय-समय पर ज्योतिषीय परामर्श प्राप्त करते रहते हैं। श्रीमती मृदुला त्रिवेदी को ज्योतिष विज्ञान की शोध संदर्भित मौन साधिका एवं ज्योतिष ज्ञान के प्रति सरस्वत संकल्प से संयुत्त? समर्पित ज्योतिर्विद के रूप में प्रकाशित किया गया है और वह अनेक पत्र-पत्रिकाओं में सह-संपादिका के रूप मे कार्यरत रही हैं।
संक्षिप्त परिचय
श्री.टी.पी त्रिवेदी ने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से बी एससी. के उपरान्त इजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण की एवं जीवनयापन हेतु उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद मे सिविल इंजीनियर के पद पर कार्यरत होने के साथ-साथ आध्यात्मिक चेतना की जागृति तथा ज्योतिष और मंत्रशास्त्र के गहन अध्ययन, अनुभव और अनुसंधान को ही अपने जीवन का लक्ष्य माना तथा इस समर्पित साधना के फलस्वरूप विगत 40 वर्षों में उन्होंने 460 से अधिक शोधपरक लेखों और 80 शोध प्रबन्धों की संरचना कर ज्योतिष शास्त्र के अक्षुण्ण कोष को अधिक समृद्ध करने का श्रेय अर्जित किया है और देश-विदेश के जनमानस मे अपने पथीकृत कृतित्व से इस मानवीय विषय के प्रति विश्वास और आस्था का निरन्तर विस्तार और प्रसार किया है।
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