पुत्र या कन्या का विवाह करना माता-पिता का कर्त्तव्य है, पर वर या वधू का मंगली होना एक विकट स्थिति उत्पन्न कर देता है। इस पुस्तक में ऐसे समस्याओं का निराकरण करने का उपाय बताया गया है, ताकि वर-वधू के लिए ‘मंगल’ मंगलकारी सिद्ध हो। इसमें मंगल के साथ अन्य अनिष्ट ग्रहों की निवृति एवं शांति हेतु उपाय भी दिए गए हैं।.
Reviews
There are no reviews yet.