

Enter your email below to receive special offers, exclusive discounts and more!
Lagna Darshan Part 3 by Pt. Krushna Ashan

Description
[11:33, 10/3/2020] Raahul Lakhera: आरंभिका
की इस किताब से पहले, ज्योतिष विषय पर मेरे द्वारा अमृता प्रीतम जी के साथ नाक के रूप लिखी पुस्तक त्रिक भवनों की गाया जो कि सन् 1904 पंजाबी भाषा में लिखी गई थी और जिसके हिंदी भाषा में भी कई संस्करण निकले, मेरे कई शुभचिंतकों व ज्योतिष के जिज्ञासु पाठकों का मुप्से निरंतर आग्रह रहा फि में बैसी ही कोई अन्य पुस्तक ज्योतिष विषय पर लिखें। फिर ০94 में इसी पुस्तक के मराठी में प्रकाशन के बाद, मेरे मन में यह भावना र बनी रही कि मैं अपने ज्योतिष के लगभग तीस वर्षों के व्यावसायिक मुभव के आधार पर एक और पुस्तक अपने पाठकों के लिए अवश्य लिखू। इसके स्वरूप प्रस्तुत पुस्तक, "लग्न दर्शन आपके समक्ष है।
कुंडली का लग्न भाषा, हमारी आंतरिक क्षमता का वह केंद्रीय विंदु है जो हमारे जीने की शैली क्या जीवन में हम जो भी करते हैं, या कर सकने की संभावना रखते हैं, उसे स्पष्ट तीर पर दर्शाता है। इसीलिए लग्न तथा लग्नेश का जो महत्व है, उनके मुकाबले में अन्य किसी भाव भावाची पति को, उनके बराबर त्य नहीं दिया जा सकता। उदाहरण के तौर पर, मान लीजिए कि भाग्य स्थान अधातु नया भाव में कोई बहुत ही शुभ ग्रह विद्यमान है। इस शुभ ग्रह की क्षमता या परिक्षेत्र, हम नवम् भाव को स्वतंत्र रूप में लेकर कभी नहीं जान सकते। इस भाव के फल देने की क्षमता सीमा का मापदंड, लग्न तथा लग्नेश की शक्ति पर
भी निर्भर करेगा। यह बात सभी भावों पर लागू होगी। एक महान मनोवैज्ञानिक, कार्ल जुंग, जिनकी ज्योतिष में गहरी रुचि वी और जिन्होंने मनोविज्ञान के सिद्धांतों को ज्योतिष की दृष्टि से भी समझाने की कोशिश की है, का कहना है कि-"मेरा सारा जीवन व्यक्तित्व के रहस्पों को गहराई से मारने के विचार और उद्देश्य से ही व्यापित और बंधा रहा है। इसी कंद्रीय विंदु से व्यक्ति के जीवन के हर पक्ष की व्याख्या की जा सकती है और मेरा सारा मृत्यु भी इसी विधि से संबंधित है।" मेरे विचार से कार्ल उुंग का उपरोक्त विचार ज्योतिष शास्त्र में कुंडली के लग्न भाव के बारे में ही है, क्योंकि जन्म कुंडली में लग्न ही वह स्थान है जो व्यक्ति के आंतरिक तथा बाहरी जीवन का दर्पण है।
इन्हीं विचारों को ध्यान में रखते हुए, मुझे यह उचित लगा कि ज्योतिष विषय पर लग्न भावों पर कोई पुस्तक लिखना उपयुक्त होगा। वैसे भी मैंने अपने ज्योतिष के अनुभव काल में कोई ऐसी पुस्तक नहीं देखी जो विशेषकर लग्न भावों पर विस्तार से लिखी गई हो। इसके अलावा, मेरा ज्योतिष का कार्य-क्षेत्र विशेषतः 'लाल किताब होने