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Jaimini Sthir Dasha Se Bhavishya Vani By K N Rao [VP]

Description
पुस्तक के बारे में
मैने पंजाब के एक ज्योतिषी, जिनका नाम संभवतः टेक चन्द था, ब्रह्मा ज्ञात करने की निम्नलिखित विधि समझी थी। पहले ग्रह और राशि वालों की गणना कीजिये। फिर लग्न तथा सप्तम भावों में जो अधिक बली हों, वहां से षष्ठमेश, अष्टमेश तथा द्वादशेशों के बल देखें (इनमें शनि, राहु और केतु की गणना नहीं होती है । इनमें से सर्वाधिक बाली ग्रह ब्रह्मा होंगे। मैने इस विधि का प्रयोग मेरी कुंडली के अतिरिक्त अपने अत्यन्त निकट के
लोगों की कुंडली पर करके इसे सही पाया। यह बशा इन सभी मामलों में जीवन
के कठिन समय का निर्धारण करने में बहुत सहायक रही।
स्थिर दशा पर कार्य करते समय मुझे अनुभव हुआ कि इसका प्रयोग सिर्फ अशुभ जानने के लिये नहीं किया जाना चाहिये। इस दशा से जीवन में होने वाले प्रत्येक उतार-चढ़ाव का बोध भी ठीक चर दशा की भाति ही हो सकता है। जय मे इस विधि की सत्ता पर पूरा भरोसा हो गया तो मैंने भारतीय विद्या भवन के ज्योतिष के छात्रों को इसे पन्द्रह वर्षों तक सिखाया और उन्होंने भी इसका सफलतापूर्वक प्रयोग किया।
अखिला, जो भारतीय विद्या भवन के ज्योतिष संकाय की अत्यन्त सफल और प्रभावी शिक्षिका है. ने जैमिनी ज्योतिष के अत्यंत प्रभावी आयामों के नये द्वार खोलने का अद्भुत कार्य किया है। इस पुस्तक में कई नये सूत्रों की स्थापना की गयो है तथा उनकी सत्यता को प्रमाणित किया गया है। पुस्तक में कई उताहरणों के माध्यम से सहज भाव से ही गूद सूत्रों की व्यवस्था की गयी है। एक बार पुस्तक पद लेने से ही स्थिर दशा पर पाठक को अधिकार का अनुभव हो जाता है। पुस्क की भाषा अस्थाना सरल रखी गयी है