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के.पी कृष्णमूर्ति पद्धति नक्षत्र ज्योतिष नाम कुंडली का निर्माण

Description
प्रस्तावना
जय इस संसार में ज्योतिष विज्ञान पर या पुस्तक उप इस पुस्तक की क्यों आवश्यकता है? या प्रश्न किती ब्रास पूजा प्रश्न हाथ में लिया गया है और इसका उत्तर इस किताब की प्रस्तावना म दिया
है। भारत में अनेक सिद्ध । और उन नहीं खाते हैं। इसलिए गाना कि गए एव र् अंतर रखती है। भारत में ज्योतिषियों को प पर चरमर पड प्रत्येक प्रजनन सुकली बनाता है और अततोगत्या दो जन्मकुंडलियां सेल नही ख यद्यपि जातक द्वारा ज्योतिष को दिया गया जन्म का समय समान होता है। इस जातक चकरा जाता है और यह नहीं समझ पाता/ या है कि उनमें हे कोन है। प्रत्येक गावित बापूर्ण भारत के ज्योतिषियों को लिए उसके द्वारा दिये गये उगी समय के लिए एक दर्जन भिन्न-भिन्न जन्मकुंडली रवाता है। कुछ ज्योति me नही जानते हैं कि कैसे सही जन्म कुंडली बनायी जाये जय जन्म वही रहता जन्म कुली की रचना क नहीं बरिया गणितीय गणना होता है। जातक को एक समान जन्म कुली दी जानी चाहिए चाहे पहा अनेक ज्योतिषियों] द्वारा तैखार हो। कुछ स्थान की आवश्यकता अर्थात जन्म को स्थान के अक्षारा एक देशालय को लेना भी नहीं जानते है।
श्रीपति पयति विभिन्न गणनाओं की बारे में की जानकारी प्रदान है। जब हम विभिन्न अभिलेखों की परीक्षा करते हैं तो कुछ भी नहीं शिव होता है । प्रीति ने पय क का । किया और कब अपनी पुस्तक प्रस्ता करने का निर्णय किया था। यह अनुमान लगाया जाता है कि व कल परपाग भारतीय पद्धति जानता है और तदनुसार अपनी पुस्तक प्रकाशित की है। उस समय कोई चाक्षुष उपकरण (पूरी आदि) नहीं था परतु इस स हम न कोई चा उपकरण लि अधिक सही पंचांग तैयार एवं प्रकाशित करने ।